Sunday, 7 February 2016

सिंधु घाटी सभ्यता

यहाँ के स्थल मेरठ ज़िले के 'आलमगीर' तक फैले हुए हैं। एक अन्य स्थल सहारनपुर ज़िले में स्थित 'हुलास' तथा 'बाड़गांव' है। हुलास तथा बाड़गांव की गणना पश्वर्ती सिन्धु सभ्यता के पुरास्थलों में की जाती है।

जम्मू

इस क्षेत्र के मात्र एक स्थल का पता लगा है, जो 'अखनूर' के निकट 'भांडा' में है। यह स्थल भी सिन्धु सभ्यता के परवर्ती चरण से सम्बन्घित है।
सिंधु घाटी सभ्यता कालीन बर्तन

गुजरात

1947 के बाद गुजरात में सैंधव स्थलों की खोज के लिए व्यापक स्तर पर उत्खनन किया गया। गुजरात के 'कच्छ', 'सौराष्ट्र' तथा गुजरात के मैदानी भागों में सैंधव सभ्यता से सम्बन्घित 22 पुरास्थल है, जिसमें से 14 कच्छ क्षेत्र में तथा शेष अन्य भागों में स्थित है। गुजरात प्रदेश में ये पाए गए प्रमुख पुरास्थलों में 'रंगपुर', 'लापेथल', 'पाडरी', 'प्रभास-पाटन', 'राझदी', 'देशलपुर', 'मेघम', 'वेतेलोद', 'भगवतराव', 'सुरकोटदा', 'नागेश्वर', 'कुन्तासी', 'शिकारपुर' तथा 'धौलावीरा' आदि है।

महाराष्ट्र

प्रदेश के 'दायमाबाद' नामक पुरास्थल से मिट्टी के ठीकरे प्राप्त हुए है जिन पर चिरपरिचित सैंधव लिपि में कुछ लिखा मिला है, किन्तु पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में सैंधव सभ्यता का विस्तार महाराष्ट्र तक नहीं माना जा सकता है। ताम्र मूर्तियों का एक निधान, जिसे प्रायः हडप्पा संस्कृति से सम्बद्ध किया जाता है, वह महाराष्ट्र और दायमादाबद नामक स्थान से प्राप्त हुआ है - इसमें 'रथ चलाते मनुष्य', 'सांड', 'गैंडा', और 'हाथी' की आकृति प्रमुख है। यह सभी ठोस धातु की है और वजन कई किलो है, इसकी तिथि के विषय में विद्धानों में मतभेद है।

अफ़ग़ानिस्तान


हिन्दुकश के उत्तर में अफ़ग़ानिस्तान में स्थित 'मुंडीगाक' और 'सोर्तगोई' दो पुरास्थल है। मुंडीगाक का उत्खनन 'जे.एम. कैसल' द्वारा किया गया था तथा सोर्तगोई की खोज एवं उत्खनन 'हेनरी फ्रैंकफर्ट' द्वारा कराया गया था। सोर्तगोई लाजवर्द की प्राप्ति के लिए बसायी गयी व्यापारिक बस्ती थी।

No comments:

Post a Comment