Monday, 25 January 2016

Inspirational Poem BY Harivansh Rai Bachchan Sahab


नीड़ का निर्माण फिर फिर
नेह का आह्वान फिर फिर
वो उठी आंधी की नभ में
छा गया सहसा अँधेरा
धुली धूसरित बादलों ने
भूमि को इस भाँति घेरा
रात सा दिन हो गया फिर
रात आई और काली
लग रहा था अब न होगा
इस निशा का फिर सवेरा...
रात के उत्पात भय से
भीत जन जन
भीत कण कण
किन्तु प्राची से उषा की
मोहिनी मुस्कान फिर फिर
नीड़ का निर्माण फिर फिर
नेह का आह्वान फिर फिर

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